सफाई पर 90 लाख रुपये मासिक खर्च के बावजूद डुमरांव में कूड़ा प्रबंधन बदहाल, जनता नाराज़, बढ़ा बजट, लेकिन नहीं सुधरी व्यवस्था, शहर में कूड़ा बना सिरदर्द
न्यूज़ 11 बिहार | बक्सर
डुमरांव नगर परिषद क्षेत्र में सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रही एनजीओ के कार्यशैली को लेकर नगरवासियों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। सफाई के नाम पर प्रतिमाह 92 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन बदले में लोगों को गंदगी, बदबू और बीमारियों का ही सामना करना पड़ रहा है।
शहर के कई मोहल्लों और चौक-चौराहों से उठाए गए कचरे को नियमानुसार डंपिंग यार्ड तक ले जाने के बजाय कहीं नहर किनारे, तो कहीं रिहायशी इलाकों और यहां तक कि तालाबों के किनारे फेंका जा रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि नप के विस्तारित क्षेत्र पुराना भोजपुर के सिमरी रोड स्थित खाली स्थान के पास बीते दस दिनों से लगातार कूड़ा डंप किया जा रहा है।
-बच्चों और मोहल्लेवासियों पर स्वास्थ्य संकट मंडराया
घनी आबादी वाले क्षेत्र में कूड़े का अंबार लगने से मोहल्ले में रह रहे लोगों के साथ स्कूल जाने वाले बच्चे भी दुर्गंध और संक्रमण के खतरे से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी बदबू फैली हुई है कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। साथ ही उन्हें डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा सता रहा है।
-न डंपिंग स्थल चिन्हित, न कोई ठोस योजना
जानकारी के अनुसार, नप क्षेत्र में डंपिंग यार्ड के लिए अबतक स्थल का चयन नहीं हो पाया है। रेहिया में चयनित स्थल पर स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा रोक लगा दिया गया। हाल के दिनों में नप क्षेत्र से 5 किलोमीटर के दायरे में 5 एकड़ भूमि की ख़रीदारी के लिए नप के द्वारा विज्ञापन जारी किया गया था। लेकिन कोई निविदा में भाग नहीं लिए। कूड़ा डुमरांव नप के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। जबतक ठोस कोई व्यवस्था नहीं होगा तबतक जनता को कूड़ा के दुर्गंघ एवं जहरीली धुंआ का सामना करना पड़ेगा।
-रात के अंधेरे में कूड़ा डंप कर रही एजेंसी
स्थानीय निवासी अगस्त पाठक, गौरी पाठक, चुन्नु पाठक, मदन शुक्ला समेत कई लोगों का कहना है कि सफाई एजेंसी रात के अंधेरे में चोरी-छिपे ट्रकों से कूड़ा डंप कर देती है, ताकि किसी को पता न चले।
-होर्डिंग्स लगाकर ‘चकाचक डुमरांव’ का प्रचार,हकीकत बदबूदार
वही नगर परिषद एक ओर तो शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाकर ‘चकाचक डुमरांव’ का प्रचार कर रही है, वहीं दूसरी ओर नगर की सच्चाई इसके उलट नजर आती है। सरकारी भवनों और सड़कों की दीवारों पर स्वच्छता को लेकर सुंदर-सुंदर पेंटिंग्स कराई गई हैं, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि शहर के कई क्षेत्रों में गंदगी फैली हुई है। नगर परिषद का ध्यान प्रचार-प्रसार और दिखावटी सौंदर्यीकरण पर तो है, लेकिन मूलभूत स्वच्छता व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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