– महापंचायत में तय होगा राजनीतिक समर्थन, एग्रीमेंट यात्रा बनी चर्चा का विषय
न्यूज़ 11 बिहार | डुमरांव
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के नगर स्थित टाउन हॉल में आगामी 13 जुलाई को एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है। जदयू के पूर्व विधानसभा प्रभारी रवि उज्जवल कुशवाहा के नेतृत्व में पिछड़ा–अतिपिछड़ा महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के सभी 32 पंचायतों से पिछड़े और अति पिछड़े समुदायों के लोग एकजुट होकर भाग लेंगे। इस आयोजन का उद्देश्य राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें दोनों समुदायों के लोग निर्णय देंगे कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे किसके साथ खड़े हैं। इस महापंचायत को लेकर स्थानीय स्तर पर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। रवि उज्जवल ने दावा किया है कि यह आयोजन ऐतिहासिक साबित होगा, क्योंकि इस प्रकार की पारदर्शी और जनसमर्थन आधारित रणनीति पहले किसी भी संभावित उम्मीदवार द्वारा नहीं अपनाई गई है। रवि उज्जवल ने इसे सामाजिक न्याय और राजनीतिक जागरूकता को मजबूती देने वाला कदम बताया है।

-रवि ने 32 पंचायतो में किया है एग्रीमेंट यात्रा
महापंचायत की घोषणा के साथ ही रवि उज्जवल की एग्रीमेंट यात्रा भी सुर्खियों में है। उन्होंने अब तक डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के सभी 32 पंचायतों में द्वितीय चरण की यात्रा पूरी कर ली है। डुमरांव नगर के 35 वार्ड का तीसरे चरण का यात्रा शेष है जिसे महा पंचायत के बाद पूरा किया जाएगा। इस यात्रा के दौरान वे जनता के बीच जाकर एक लिखित समझौते (स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट) के माध्यम से वादा कर रहे हैं कि यदि वे जनता की समस्याओं का समाधान 4 साल 6 माह के भीतर नहीं कर पाए, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
-रवि उज्जवल का यह कदम बिहार की राजनीति में एक नई मिसाल
रवि उज्जवल का यह कदम बिहार की राजनीति में एक नई मिसाल बनता दिख रहा है। आमतौर पर वादों पर टिके रहने का दावा करने वाले नेता सिर्फ भाषणों में सीमित रहते हैं, लेकिन रवि ने इसे कानूनी स्वरूप देकर जनता के बीच विश्वास कायम किया है। इस यात्रा और महापंचायत ने डुमरांव क्षेत्र की राजनीतिक फिजा बदल दी है। अन्य संभावित उम्मीदवारों के सामने अब चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि जनता ने रवि उज्जवल से जो पारदर्शिता देखी है, वही अब वे अन्य नेताओं से भी मांगने लगे हैं। महापंचायत में जन समर्थन किस ओर जाएगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन रवि उज्जवल का यह प्रयास निश्चित ही चुनावी राजनीति में एक नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।
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