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मैथिली साहित्य को समृद्ध करने वाली एक और कड़ी: ‘गीता पर हाथ राखिक’ पुस्तक का हुआ प्रकाशन

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-मानवेन्द्र मिश्र की रचना को मिला मैथिली में जीवन,साहित्य अकादमी विजेता वीरेंद्र झा की नई प्रस्तुति

न्यूज़ 11 बिहार | अमित ओझा

मैथिली साहित्य को एक नया आयाम देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रतिष्ठित साहित्यकार वीरेंद्र झा ने लेखक मानवेन्द्र मिश्र की चर्चित पुस्तक गीता पर हाथ रख कर का मैथिली में अनुवाद किया है। अब यह पुस्तक गीता पर हाथ राखिक नाम से नवारम्भ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है, जो मैथिली भाषी पाठकों के लिए एक सांस्कृतिक एवं बौद्धिक उपहार के रूप में सामने आई है। मूल पुस्तक का लेखन मानवेन्द्र मिश्र द्वारा किया गया है, जिसे पहले जो हर्फ पब्लिकेशन, दिल्ली ने प्रकाशित किया था। इस कृति में भगवद गीता के गूढ़ ज्ञान, नैतिक शिक्षा और जीवन-दृष्टिकोण को सहज, संवेदनशील एवं स्थानीय भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह पाठकों के हृदय से सीधा जुड़ती है। मैथिली भाषी समाज के लिए यह एक ऐसा सेतु बन सकता है, जो उन्हें सनातन संस्कृति और गीता के आदर्शों से सीधे तौर पर जोड़ता है।

-दरभंगा जिले के पोथी घर और मधुबनी जिले के जानकी पुस्तक भंडार पर उपलब्ध

यह पुस्तक वर्तमान में दरभंगा जिले के पोथी घर और मधुबनी जिले के जानकी पुस्तक भंडार में उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल युग की मांग को ध्यान में रखते हुए, यह कृति ऑनलाइन बुक स्टोर www.navarambh.com पर भी उपलब्ध कराई गई है, ताकि देश-विदेश में बसे मैथिली प्रेमी पाठक भी इसे आसानी से प्राप्त कर सकें। इस अवसर पर लेखक मानवेन्द्र मिश्र ने अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा कि यह उनके लिए एक बड़े सम्मान की बात है कि इतनी प्रतिष्ठित साहित्यिक विभूति ने उनके लेखन को अपनी मातृभाषा मैथिली में अनुवाद कर अमर कर दिया। उन्होंने वीरेंद्र झा को माँ सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त साहित्यसेवी बताते हुए उनके योगदान को प्रेरणादायक बताया। वीरेंद्र झा अब तक दर्जनों पुस्तकों की रचना कर चुके हैं। उन्होंने दो विषयों में एम.ए., पीएच.डी. के साथ एलएल.बी. की भी पढ़ाई की है और उनका समर्पण पूर्णतः साहित्य सेवा को समर्पित रहा है। मानवेन्द्र मिश्र ने अंत में वीरेंद्र झा के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और उनकी रचनात्मक यात्रा की निरंतरता की कामना की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल ज्ञान का प्रसार करेगी बल्कि मैथिली साहित्य को एक नई दिशा और ऊँचाई भी प्रदान करेगी।

शिवहर जिला के रहने वाले है मानवेन्द्र मिश्र

उल्लेखनीय है कि मानवेन्द्र मिश्र मूल रूप से बिहार के शिवहर जिले के बराही मोहन गांव निवासी हैं। वे ADJ गोपालगंज, पूर्व सेवा सहायक अभियोजन पदाधिकारी (मध्यप्रदेश)रह चुके हैं। वे श्री अमोद कांत मिश्र के पुत्र हैं और कानून में एलएल.बी. की पढ़ाई कर चुके हैं।

 

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