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बजट 2025: अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच महंगाई 4.9% रही; GDP ग्रोथ 6.3% से 6.8% रह सकती है

Nirmala Sitharaman Budget 2025
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बजट 2025: 2025-2026 में इकोनॉमी 6.3% से 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान

बजट 2025: खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई

NEWS 11 BIHAR: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा शुक्रवार को सदन में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। इसके अनुसार FY26 यानी, 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 के दौरान GDP ग्रोथ 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान है। वहीं रिटेल महंगाई अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई। इकोनॉमिक सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। इसमें देश की GDP का अनुमान और महंगाई समेत कई जानकारियां होती है। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स इसे तैयार करता है।

इकोनॉमिक सर्वे 2025 की 6 बड़ी बातें:

  • 2025-2026 में इकोनॉमी 6.3% से 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है। सर्वे में कहा गया है कि 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के लिए अगले एक से दो दशक तक 8% के दर से आर्थिक विकास करना होगा।
  • 2023-2024 में रिटेल महंगाई 5.4% थी, जो अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई। चौथी तिमाही में महंगाई में कमी की उम्मीद है। खराब मौसम, कम उपज के चलते सप्लाई चेन में बाधा आने से खाने-पीने की महंगाई बढ़ी।
  • सर्वे में कहा गया है कि लेबर मार्केट के हालात 7 साल में बेहतर हुए है। FY24 में बेरोजगारी दर गिरकर 3.2% पर आई। वहीं EPFO में नेट पेरोल पिछले 6 साल में दोगुना हुआ जो संगठित क्षेत्र में रोजगार का अच्छा संकेत है।
  • एआई का तेजी से हो रहा विकास न केवल ग्लोबल लेबर मार्केट में नए अवसरों का निर्माण कर रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण चुनौतियां भी उत्पन्न कर रहा है। AI के चलते होने वाले बदलाव के विपरीत प्रभावों को कम करने की जरूरत है।
  • भारत को अगले 20 साल में तेज ग्रोथ के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की जरूरत है। पिछले 5 साल में सरकार ने फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया है। पब्लिक फंडिंग से अकेले ये जरूरतें पूरी नहीं होंगी, इसलिए प्राइवेट भागीदारी बढ़ानी होगी।
  • भारतीय बाज़ारों के सामने सबसे बड़ा जोखिम अमेरिका से जुड़ा है। सर्वे में अमेरिकी बाजार में करेक्शन की हाई पॉसिबिलिटी बताई गई है। इसका भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है, खासकर रिटेल निवेशकों पर।

दिसंबर में महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आई

खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महंगाई घटकर 5.22% हो गई है। इससे पहले नवंबर में महंगाई दर 5.48% पर थी। वहीं 4 महीने पहले अगस्त में महंगाई 3.65% पर थी।

महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महंगाई महीने-दर-महीने आधार पर 9.04% से घटकर 8.39% हो गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 5.95% से घटकर 5.76% और शहरी महंगाई 4.89% से घटकर 4.58% हो गई है।

इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है?

हम उस देश में रहते हैं, जहां मिडिल क्लास लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। हमारे यहां ज्यादातर घरों में एक डायरी बनाई जाती है। इस डायरी में पूरा हिसाब-किताब रखते हैं।

साल खत्म होने के बाद जब हम देखते हैं तो पता चलता है कि हमारा घर कैसा चला? हमने कहां खर्च किया? कितना कमाया? कितना बचाया? इसके आधार पर फिर हम तय करते हैं कि हमें आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है? बचत कितनी करनी है? हमारी हालत कैसी रहेगी?

ठीक हमारे घर की डायरी की तरह ही होता है इकोनॉमिक सर्वे। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है। इकोनॉमिक सर्वे को बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।

इकोनॉमिक सर्वे कौन तैयार करता है?

वित्त मंत्रालय के अंडर एक डिपार्टमेंट है इकोनॉमिक अफेयर्स। इसके अंडर एक इकोनॉमिक डिवीजन है। यही इकोनॉमिक डिवीजन चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर यानी CEA की देख-रेख में इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है। इस वक्त CEA डॉ. वी अनंत नागेश्वरन हैं।

इकोनॉमिक सर्वे क्यों जरूरी होता है?

ये कई मायनों में जरूरी होता है। इकोनॉमिक सर्वे एक तरह से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए डायरेक्शन की तरह काम करता है, क्योंकि इसी से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और इसमें सुधार के लिए हमें क्या करने की जरूरत है।

क्या सरकार के लिए इसे पेश करना जरूरी है?

सरकार सर्वे को पेश करने और इसमें दिए गए सुझावों या सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। अगर सरकार चाहे तो इसमें दिए सारे सुझावों को खारिज कर सकती है। फिर भी इसकी अहमियत है, क्योंकि इससे बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा पता चलता है।

1950-51 में पेश हुआ था पहला इकोनॉमिक सर्वे

भारत का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में पेश किया गया था। हालांकि, 1964 के बाद से, सर्वे को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया। तब से, बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे जारी किया जाता है।

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