बिहार सरकार के बजट 2024-25 को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने बजट में कई आर्थिक पहलुओं की अनदेखी का आरोप लगाया है। राज्य का कुल कर्ज अगले वित्त वर्ष में 3.62 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। यह एक साल में 29,295 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी है। राज्य का कर्ज GDP का 37.1 प्रतिशत हो गया है। नया कर्ज पुराने कर्ज के भुगतान में ही खर्च हो रहा है।
बिहार की प्रति व्यक्ति आय मात्र 36,333 रुपए है। यह राष्ट्रीय औसत 1.06 लाख रुपए से बहुत कम है। राज्य की 75 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। फिर भी कृषि क्षेत्र में सरकारी निवेश केवल 5.6 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य बजट का 25 प्रतिशत भी खर्च नहीं
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। CAG रिपोर्ट के मुताबिक 57 प्रतिशत पद खाली हैं। पिछले 6 सालों में स्वास्थ्य बजट का 25 प्रतिशत भी खर्च नहीं किया गया। बजट में सबसे बड़ा विवाद बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड को लेकर है।
25 करोड़ रुपए का यह फंड मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार की बेटी ईशा वर्मा की कंपनी को दिए जाने की योजना है। यह कंपनी 17 दिसंबर 2024 को ही पंजीकृत हुई थी। बजट घोषणा के दिन ही कंपनी ने फंड का स्वागत कर दिया। इससे अंदरूनी जानकारी लीक होने की आशंका जताई जा रही है।
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फंड दिलाने की कवायद जारी
सांसद ने कहा कि सूत्रों के अनुसार, ईशा वर्मा को वित्त विभाग की गोपनीय बैठकों में शामिल किया गया। इस कंपनी को सरकारी और निजी क्षेत्र से फंड दिलाने की कवायद चल रही है। इससे जुड़ी जांच की मांग की जा रही है।
भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रधान सचिव दीपक कुमार और वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर को पदमुक्त करने की अपील की गई है।यह बजट राज्य की आर्थिक असमानता और सरकारी तंत्र में बढ़ते भ्रष्टाचार को उजागर करता है, जिससे बिहार के विकास पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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