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ब्रह्मपुर में बस चालकों और सैरात कर्मियों के बीच टकराव, घंटों जाम से जनजीवन अस्त-व्यस्त

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ब्रह्मपुर, 19 अप्रैल: न्यूज़11 बिहार
शनिवार को ब्रह्मपुर नगर पंचायत क्षेत्र में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में उस समय तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब बस चालकों और नगर पंचायत द्वारा अधिकृत सैरात वसूली कर्मियों के बीच तीखा विवाद हो गया। मामला इतना बिगड़ गया कि मुख्य सड़क पर कई घंटों तक यातायात पूरी तरह ठप रहा, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।


विवाद की वजह: नई सैरात वसूली नीति

विवाद की जड़ ब्रह्मपुर नगर पंचायत द्वारा हाल ही में लागू की गई सैरात वसूली नीति रही। बस चालकों का आरोप है कि पूर्व में उनसे कभी भी सैरात शुल्क नहीं वसूला गया, इसलिए अब इसे लागू करना अन्यायपूर्ण है।

चालकों का कहना है,

“जब पहले कभी शुल्क नहीं लिया गया, तो अब अचानक क्यों देना पड़े? ये सीधे-सीधे शोषण है।”


₹22 लाख में हुआ टेंडर, चार गुना बढ़ोतरी पर नाराजगी

मामले में दिलचस्प तथ्य यह है कि इस वर्ष सैरात वसूली का टेंडर ₹22 लाख रुपये में नीलाम हुआ है, जबकि पिछले वर्षों में यह टेंडर केवल ₹6.5 लाख रुपये में ही दिया जाता रहा है। यानी करीब चार गुना बढ़ोतरी, जिसने बस ऑपरेटरों के बीच गुस्से की चिंगारी भड़का दी है।


सैरात संचालक का पक्ष: “हम कानूनी रूप से अधिकृत हैं”

सैरात वसूली के अधिकृत ठेकेदार शिवेंद्र पांडेय ने स्पष्ट किया कि उन्हें ब्रह्मपुर नगर पंचायत से विधिवत रूप से वसूली का अधिकार प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि नगर क्षेत्र के चार प्रमुख स्थानों पर सैरात वसूली की जाती है और प्रत्येक वाहन चालक को 24 घंटे के लिए वैध रसीद भी प्रदान की जाती है।

निश्चित शुल्क दरें इस प्रकार तय की गई हैं:

वाहन प्रकारवसूली शुल्क
ऑटो₹10
छोटी बस₹40
बड़ी बस₹50
पिकअप मालवाहक₹40
16 चक्का ट्रक₹150
18–20 चक्का ट्रक₹250

शिवेंद्र पांडेय ने यह भी कहा,

“यदि किसी वाहन चालक से तय दर से अधिक शुल्क लिया जाता है, तो वह नगर प्रशासन में शिकायत दर्ज करा सकता है।”


हंगामा और सड़क जाम से आम नागरिकों को भारी दिक्कतें

शुल्क के विरोध में बस चालकों ने मुख्य मार्ग पर आंदोलन करते हुए सड़क जाम कर दी, जिससे स्कूल जाने वाले छात्र, बीमार मरीज और दफ्तर जाने वाले लोग घंटों तक फंसे रहे। गर्मी के इस मौसम में घंटों खड़े रहना आम लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बना।


पुलिस हस्तक्षेप के बाद सामान्य हुआ माहौल

जैसे ही पुलिस को इस विवाद की सूचना मिली, स्थानीय थाना प्रभारी के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने दोनों पक्षों से बातचीत कर विवाद को शांत किया। इसके बाद बसों को हटाया गया और धीरे-धीरे यातायात बहाल हुआ।


प्रशासनिक जवाबदेही और संवाद की जरूरत

इस घटना ने ब्रह्मपुर नगर पंचायत की सैरात नीति की पारदर्शिता और संवादहीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का मानना है कि “नगर प्रशासन को वाहन चालकों और सैरात ठेकेदारों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना चाहिए।”

इस संबंध में नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी सतेन्द्र कुमार वर्मा ने कहा:

“नगरपालिका अधिनियम 2007 के तहत नियमानुसार सैरात वसूली की जा रही है। सभी प्रक्रियाएं वैधानिक और पारदर्शी तरीके से अपनाई गई हैं।”

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