MNREGA कार्यालय के द्वारा भुगतान से संबंधित 90 फीसदी कार्य कर दिया है, भुगतान का इंतजार
बक्सर (डुमरांव) जिला में MNREGA का हाल मत पूछिए। काम करने के एक सप्ताह अंदर भुगतान का दावा हवा-हवाई है। हालात तो इस कदर खराब हो चुके हैं कि पिछले दो माह से जिले के मजदूरों का करोड़ रुपये का भुगतान फंसा हुआ है। अपनी दिहाड़ी पाने के लिए मजदूर ग्राम पंचायत, बैंक और ब्लाकों स्थित मनरेगा कार्यलय के चक्कर काटने को मजबूर हैं, लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है। बजट न आने से नए कार्य भी ठप हैं।
यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन बजट के फेर में मजदूर फंस गए हैं। ग्रामीण विकास विभाग के स्तर से भुगतान को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है यही नहीं मजदूरों के द्वारा किए गए कार्यों का मास्टर रोल तैयार कर भुगतान की प्रक्रिया का 90% कार्य पूर्ण कर दिया गया है केवल केंद्र सरकार को कार्य किए मजदूरों के खाते में भुगतान करना है। विभाग के प्रयास के बाद भी नतीजा सिफर है।
भुगतान के लिए टकटकी लगाए मजदूरों के सब्र का बांध टूट रहा है। रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एक जाब कार्ड धारक को 245 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है। दिसंबर से अब तक भुगतान नहीं मिला है। जबकि प्राइवेट काम पर मजदूरों की दिहाड़ी तीन से चार सौ रुपये मिल जाती है।
भुगतान न होने से आगे के कार्यों में भी जिम्मेदार कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार इस योजना को ग्राम पंचायत की रीढ़ मानती है। सरकार का कहना है कि इस योजना के तहत 100 दिनों के कार्य की गारंटी दी जाती है। लेकिन कार्य करके भुगतान नहीं होने से मजदूर में काफी आक्रोश है एवं मनरेगा योजना के प्रति मजदूरों का मोह भी भंग हो रहा है।
-बोले, जाब कार्ड धारक
एक माह पहले मनरेगा योजना के तहत कार्य किया था। मजदूरी का अभी तक कोई पता नहीं है। मुखिया व बैंक का चक्कर लगाकर थक गए हैं। कब मिलेगा इसका कोई जवाब किसी के पास नहीं है।
सतीश यादव,अटाव डुमरांव।
——-अब मनरेगा में काम करके इंतजार करना पड़ता है। पैसा कब आएगा कोई पता नहीं। 28 दिन काम करके पैसे का इंतजार कर रहे हैं। रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। कैसे परिवार चलेगा। -बबिता देवी,कंझरुआ
——परिवार का भरण पोषण मजदूरी करके करती हूं। काम करने के बावजूद दो माह से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। मुखिया के पास जाने पर पता चलता है कि बजट आने के बाद पैसा मिल जाएगा। इससे अच्छा तो बाहर काम करना है। लेकिन महंगाई से बाहर भी तो काम नहीं है।
सुनीता देवी,मनरेगा मजदूर अटाव
——हमें घर पर रोजगार देने की बात तो होती है, लेकिन मजदूरी कब मिलेगा कोई पता नहीं है। दो माह से परिवार का जीविका चलाना मुश्किल हो गई है। घर कैसे चलेगा, यही चिता खाए जा रहा है।
उमेश यादव,कंझरुआ
कहते है डीडीसी
मनरेगा योजना में मजदूरों के द्वारा किए गए कार्यो का लंबित भुगतानों जल्द ही करवाया जाएगा। इसके लिए उच्चाधिकारियों के स्तर से भी प्रयास हो रहा है। बहुत जल्द भुगतान जाब कार्ड धारकों के खाते में चला जाएगा। – डॉ महेंद्र पाल उप विकास आयुक्त बक्सर
सम्बंधित ख़बरें- महाकुंभ से लौट रहे श्रद्धालुओं की कार-बोलेरो में टक्कर एक की मौत, 4 घायल
Leave a Reply