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पुलिस का डिजिटल सशक्तिकरण: अनुसंधानकर्ताओं को मिला ई-साक्ष्य और कम्प्यूटर का प्रशिक्षण

पुलिस का डिजिटल सशक्तिकरण: अनुसंधानकर्ताओं को मिला ई-साक्ष्य
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📍 डुमरांव, बिहार | न्यूज़ 11 बिहार


डुमरांव अनुमंडल क्षेत्र में पुलिसिंग को अधिक प्रभावी, आधुनिक और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया। शनिवार को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (SDPO) अफाक अख्तर अंसारी की अध्यक्षता में सभी थानों के अनुसंधानकर्ताओं के लिए एक विशेष प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें ई-साक्ष्य (इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस) और कंप्यूटर तकनीक आधारित अपराधों की जांच से संबंधित आवश्यक जानकारी दी गई।


🔍 तकनीकी पुलिसिंग की ओर ठोस कदम

एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी ने प्रशिक्षण सत्र के दौरान कहा:

“आज की डिजिटल दुनिया में अपराध भी हाईटेक हो गए हैं। ऐसे में हमारी पुलिस को भी तकनीकी रूप से दक्ष बनना होगा। अब परंपरागत तरीकों से हटकर, हमें साइबर क्राइम, ऑनलाइन धोखाधड़ी, डिजिटल साक्ष्य और सीसीटीवी फुटेज की सहायता से आधुनिक जांच प्रक्रिया को अपनाना होगा।”


📱 ई-साक्ष्य: अपराध के खिलाफ नया हथियार

प्रशिक्षण में अनुसंधानकर्ताओं को यह बताया गया कि किस प्रकार मोबाइल फोन, लैपटॉप, सीसीटीवी फुटेज, सोशल मीडिया चैट, ईमेल, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और अन्य डिजिटल माध्यमों से प्राप्त सूचनाओं को साक्ष्य के रूप में सुरक्षित रूप से संकलित किया जा सकता है।

मुख्य विषयों में शामिल रहे:

  • डिजिटल साक्ष्य की वैधता और संरक्षण
  • फॉरेंसिक लैब को डेटा सुरक्षित रूप से भेजने की प्रक्रिया
  • साइबर अपराध की रिपोर्टिंग
  • फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल और ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड की जांच
  • डेटा बैकअप और रिकवरी की बारीकियाँ

🖥️ अनुसंधान की प्रक्रिया को मिला तकनीकी आधार

डुमरांव अनुमंडल के सभी थानों से आए अनुसंधानकर्ताओं को:

  • कंप्यूटर ऑपरेशन
  • डिजिटल दस्तावेजों का संग्रह और संरक्षण
  • न्यायालय में डिजिटल साक्ष्यों की प्रजेंटेशन प्रक्रिया
    के बारे में विस्तार से बताया गया।

एसडीपीओ ने बताया कि आगामी महीनों में साइबर क्राइम यूनिट के सहयोग से और भी उन्नत प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे।


📩 डिजिटल समन और वारंट प्रणाली: अदालती प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव

प्रशिक्षण के एक अहम भाग में डिजिटल माध्यमों से समन और वारंट की तामील के विषय में जानकारी दी गई। अब:

  • समन/वारंट ईमेल या व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म से भेजे जा सकते हैं
  • अगर कोई बाउंस बैक या त्रुटि संदेश नहीं आता, तो उसे प्रभावी तामील माना जाएगा
  • इससे समय की बचत और अदालती मामलों की सुनवाई में तेजी आएगी

एसडीपीओ ने निर्देश दिया कि न्यायालय के आदेशों की तामील निर्धारित समय सीमा में हर हाल में होनी चाहिए, अन्यथा लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।


⚖️ न्याय व्यवस्था में आएगी पारदर्शिता और गति

डिजिटल प्रक्रिया से:

  • साक्ष्य की विश्वसनीयता बढ़ेगी
  • गवाहों को समय पर सूचना प्राप्त होगी
  • डिजिटल रिकॉर्ड स्थायी रूप से संग्रहित रहेंगे, जिससे अदालतें जब चाहें, उन्हें जांच सकती हैं
  • पुलिस और जनता के बीच विश्वास को मजबूती मिलेगी

🚨 डिजिटल दक्षता: अपराध पर लगाम, जनता में विश्वास

यह प्रशिक्षण न केवल अनुसंधान की गुणवत्ता को नई ऊँचाई देगा, बल्कि डुमरांव अनुमंडल में तकनीकी रूप से सशक्त पुलिस व्यवस्था के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न सिर्फ अपराधियों पर कसाव बढ़ेगा, बल्कि समाज में न्याय के प्रति भरोसा भी और गहराएगा।

“डिजिटल दक्षता अब पुलिस की आवश्यकता नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी ताकत बन रही है।”एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी


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