Advertisement

DM ने गोकुल जलाशय के विकास कार्यों का किया निरीक्षण, पर्यावरणीय महत्व पर दिया जोर

DM ने गोकुल जलाशय के विकास कार्यों का किया निरीक्षण
Share

-निरीक्षण के दौरान डीएम ने कहा; आर्द्रभूमि जैव विविधता का है जीवित संग्रहालय,गोकुल जलाशय-पक्षी विशेषज्ञों/बर्डवॉचर्स के लिए अनूठा प्राकृतिक धरोहर

न्यूज़11 बिहार (बक्सर) बुधवार को डीएम अंशुल अग्रावल व प्रद्युम्न गौरव ने गोकुल जलाशय के विकास से संबंधित कार्यों का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया। गोकुल जलाशय अंचल ब्रह्मपुर और चक्की के अंतर्गत स्थित है, और यहां जलाशय के पुनर्विकास और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।

इस दौरान डीएम ने बताया कि अंचल चक्की में स्थित सभी मौजा का सीमांकन पहले ही कर लिया गया है, जबकि अंचल ब्रह्मपुर में शेष सीमांकन का कार्य चल रहा है। उन्होंने भूमि सुधार उप समाहर्ता डुमरांव को निर्देशित किया कि सीमांकन कार्य को शीघ्र पूरा किया जाए।

-सड़क मरम्मत का निर्देश:
कार्यपालक अभियंता ग्रामीण कार्य प्रमंडल बक्सर को निर्देशित किया गया कि जलाशय के पास स्थित पथ की मरम्मत की जाए, ताकि आवागमन में कोई कठिनाई न हो और जलाशय का विकास कार्य सही तरीके से किया जा सके।

-विकासात्मक परियोजनाओं पर विचार:
वन प्रमंडल पदाधिकारी बक्सर ने बताया कि गोकुल जलाशय के पास रेस्क्यू सेंटर, इंटरप्रिटेशन सेंटर, टूरिस्ट हब, वॉच टावर, गेस्ट हाउस आदि के निर्माण के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है। इस तरह के विकासात्मक कार्यों से जलाशय का पर्यटन और संरक्षण दोनों को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने आगे बताया कि गोकुल जलाशय हर साल प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है। यहां हर वर्ष लगभग 3500 पक्षी आते हैं, जिनमें 65 प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं, जैसे नॉर्दर्न शोवलर, गार्गेनी, रूडी शेलडक, ऑस्प्रे, केस्ट्रेल, सैंडपाइपर, येलो वैगटेल, और दुर्लभ प्रजातियों में इजिप्शियन वल्चर (सफेद गिद्ध) भी देखे जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में वर्ष 2022 से लगातार गोकुल जलाशय में प्रवासी पक्षियों की सबसे अधिक प्रजातियां देखी जा रही हैं।

आर्द्रभूमि के महत्व पर जोर:

डीएम ने आर्द्रभूमि के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आर्द्रभूमि पृथ्वी के जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह विभिन्न प्रकार की प्रजातियों का घर है और जल शुद्धिकरण तथा बाढ़ नियंत्रण जैसी समस्याओं से निपटने में सहायक होती है। गोकुल जलाशय को आद्रभूमि के रूप में घोषित किया गया है, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे प्राकृतिक जलवायु संतुलन बनाने में भी मदद मिलती है।

-एशियाई जलपक्षी गणना 2025:

जिला प्रशासन ने हाल ही में एशियाई जलपक्षी गणना 2025 का आयोजन किया। यह गणना 28 मार्च से 06 अप्रैल 2025 के बीच की गई। इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सदस्य अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में गोकुल जलाशय और गंगा क्षेत्र में पक्षियों की गणना की गई। इस दौरान नॉर्दर्न शोवलर, गार्गेनी, रूडी शेलडक, ऑस्प्रे, केस्ट्रेल, सैंडपाइपर, येलो वैगटेल जैसे प्रमुख पक्षियों को देखा गया।

जलकुम्भी की सफाई और पक्षियों के लिए आदर्श स्थल:

गोकुल जलाशय में जलकुम्भी की सफाई की जा रही है और खुले जल क्षेत्र के कारण यह स्थान पक्षियों के लिए एक आदर्श आश्रय स्थल बन गया है। यहां प्रवासी पक्षियों के लिए पर्याप्त स्थान और सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो उन्हें आरामदायक वातावरण प्रदान करती हैं।

जागरूकता अभियान: जिला प्रशासन और वन प्रमंडल बक्सर द्वारा वेटलैंड के महत्व को लेकर छात्र-छात्राओं और आम जनता को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 2 फरवरी 2025 को विश्व आद्रभूमि दिवस के अवसर पर, विद्यालयों के छात्रों को गोकुल जलाशय वेटलैंड का भ्रमण कराया गया, जहां उन्हें वेटलैंड के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। यह कदम पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने के लिए लिया गया।


-निरीक्षण में शामिल अधिकारी: इस निरीक्षण के दौरान वन प्रमंडल पदाधिकारी बक्सर, अनुमंडल पदाधिकारी डुमरांव, प्रखंड विकास पदाधिकारी ब्रह्मपुर, अंचलाधिकारी ब्रह्मपुर, अंचलाधिकारी चक्की और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

यह भी पढ़ें: बक्सर: चर्चित युवा नेता गिट्टू तिवारी व साथी ब्लैकमेलिंग केस में गिरफ्तार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *