न्यूज़ 11 बिहार | अमित कुमार
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी अब पूरे चरम पर है। जैसे-जैसे 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, पुराने दिग्गज और नए दावेदार मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार मुकाबला पहले से ज्यादा दिलचस्प और जटिल नजर आ रहा है। डुमरांव सीट से पूर्व विधायक ददन पहलवान यादव, जदयू की पूर्व प्रत्याशी अंजुम आरा, जदयू के नेता रवि उज्वल और जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ‘दादा’ के पुत्र ने चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जदयू इस बार किसे अपना उम्मीदवार बनाता है और क्या ददन पहलवान यादव को फिर से मौका मिलेगा, या फिर किसी नए चेहरे पर दांव लगाया जाएगा। वर्तमान समय में डुमरांव विधान सभा की सीट पर सीपीआई का कब्जा है। जिसके उम्मीदवार अजित कुमार सिंह है।
-दिग्गज विधायक का JDU ने काटा 2020 चुनाव का पत्ता
ददन पहलवान, जिनका राजनीतिक सफर विविध पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सफलता के उदाहरणों से भरा है, फिर से सक्रिय हो चुके हैं। उन्होंने 2000 में निर्दलीय जीत, 2005 में सपा और अखिल जन विकास दल से जीत, और 2015 में जदयू से जीत दर्ज की थी। लेकिन 2020 में जदयू ने उनका टिकट काटकर अंजुम आरा को प्रत्याशी बनाया, जिन्हें सीपीआई (एमएल) (एल) के अजीत कुशवाहा ने 24,415 वोटों से हराया।
इतिहास और परिणामों का लेखा-जोखा
डुमरांव विधानसभा सीट की स्थापना 1951 में हुई थी और अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर अब तक 7 बार जीत दर्ज की है। जनता दल, जदयू और निर्दलीय प्रत्याशी दो-दो बार विजयी रहे हैं। सीपीआई, समाजवादी पार्टी, अखिल जन विकास दल, और सीपीआई(एमएल)(एल) को एक-एक बार सफलता मिली है। यहा मतदाताओं के व्यवहार की खासियत यह रही है कि वे अक्सर पार्टी से ज्यादा उम्मीदवार के व्यक्तित्व और प्रभाव पर वोट करते हैं। उदाहरण स्वरूप, बसंत सिंह ने 1985 में कांग्रेस से और फिर 1990 व 1995 में जनता दल से जीत दर्ज की। ददन यादव भी अलग-अलग पार्टियों से जीतकर अपनी लोकप्रियता साबित कर चुके हैं।
हालिया चुनाव परिणाम पर एक नजर डाले
2015: ददन यादव (जदयू) विजयी, रामबिहारी सिंह (रालोसपा) पर जीत
2010: डॉ. दाउद अली (जदयू) विजयी, सुनील कुमार (राजद) पर जीत
2005 (नवंबर): ददन यादव (अखिल जन विकास दल) विजयी, राम बिहारी सिंह (जदयू) पर जीत
2005 (फरवरी): ददन यादव (सपा) विजयी, अनुराधा देवी (एपी) पर जीत
2000: ददन यादव (निर्दलीय) विजयी, राम बिहारी सिंह (एसएपी) पर जीत
डुमरांव का भूगोल और जनसांख्यिकी
डुमरांव, बक्सर जिले के उत्तर में लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र गंगा नदी के निकट होने के कारण उपजाऊ और गंगीय मैदानों की समतल भौगोलिक संरचना लिए हुए है। 19वीं सदी के अंत में डुमरांव एक प्रमुख चीनी उत्पादक और निर्यातक रहा, लेकिन अब वहां की चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं और यह शहर बिहार के औद्योगिक नक्शे से लगभग बाहर हो गया है।
2011 की जनगणना के अनुसार:
जनसंख्या: 53,618 (28,498 पुरुष, 25,120 महिलाएं)
लिंग अनुपात: 881 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष (चिंताजनक)
साक्षरता दर: 71.6% (बिहार औसत 61.8% से बेहतर)
पुरुष: 78.64%
महिलाएं: 63.52%
धार्मिक दृष्टि से:
हिंदू: 83.85%,मुस्लिम: 15.94%
जातिगत समीकरण और मतदाता प्रोफाइल
डुमरांव किसी एक जाति के वर्चस्व वाला इलाका नहीं है।
अनुसूचित जाति: 13.63%
अनुसूचित जनजाति: 1.25%
मुस्लिम मतदाता: 7.1%
क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, केवल 12.88% मतदाता शहरी क्षेत्र से आते हैं।
2020 के चुनावों में कुल मतदाता संख्या 3,18,276 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,30,088 हो गई। 2020 में मतदान प्रतिशत 55.05% था। भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए मानता है कि यदि वे शेष 44.95% निष्क्रिय मतदाताओं को वोटिंग के लिए प्रेरित कर लें, तो 2025 में जीत की राह आसान हो सकती है।
चुनाव 2025: संभावनाएं और चुनौतियां
डुमरांव विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास दर्शाता है कि यहां व्यक्तित्व आधारित राजनीति हावी रही है। लगातार पार्टी बदलने के बावजूद ददन यादव जैसे नेता की कई बार जीत इस बात को प्रमाणित करती है। 2020 में महागठबंधन के तहत सीपीआई(एमएल)(एल) की जीत ने साबित किया कि जब विपक्ष एकजुट होता है तो सत्ता पक्ष को चुनौती मिलती है।
आगामी चुनाव में एनडीए जहां कम मतदान प्रतिशत को बढ़ाने और नए मतदाताओं को लुभाने की रणनीति पर काम करेंगे, वहीं महागठबंधन अपनी 2020 की जीत को दोहराने की कोशिश करेगा। जदयू के भीतर भी टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है, जिससे अंदरूनी कलह की संभावना बढ़ जाती है।
मुख्य चुनौतियां:
जदयू के लिए प्रत्याशी चयन में संतुलन बनाना
एनडीए के लिए निष्क्रिय मतदाताओं को सक्रिय करना
महागठबंधन के लिए सीट बंटवारे और अंदरूनी संघर्ष को सुलझाना
ददन यादव जैसे प्रभावशाली नेताओं की भूमिका और उनका अगला कदम
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुकाबला इस बार और भी रोचक होने वाला है। कौन किस रणनीति से बाजी मारेगा, यह देखने लायक होगा। फिलहाल सभी प्रमुख खिलाड़ी अपनी-अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने में जुट गए हैं।
अगले रविवार को फिर इसी तरह के राजनितिक विश्लेष्ण के साथ मिलेगे ब्रह्मपुर विधानसभा की विशेष रिपोर्ट के साथ बने रहे हमारे न्यूज़ पोर्टल न्यूज़ 11 बिहार के साथ
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