31 जनवरी तक एजेंसियों को अपना सिस्टम हटाने का निर्देश, निवेशकों ने विभाग पर हाईकोर्ट में किया केस
इधर आधुनिक तकनीकी शिक्षा से वंचित होंगे छात्र तो इधर निवेशकों को होगा लाखों का घाटा
NEWS11BIHAR: जिले में अब बच्चों को Computer की शिक्षा नहीं मिलेगी। आधुनिक शिक्षा के लिए जिले के विभिन्न विद्यालयों में लगाए गए Computer और सिस्टम को हटाने का फैसला विभाग ने लिया है। यह फैसला पूरे बिहार भर में लागू हुई है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जिले में बिल्ड ऑन ऑपरेट (बीओओ) मॉडल के तहत चल रहे सभी आईसीटी लैब को 31 जनवरी तक बंद करने का निर्देश दिया है। हालांकि इस फैसले के बाद विभिन्न विद्यालयों में कंप्यूटर सिस्टम लगाने वाली एजेंसियों ने सख्त तेवर अपनाते हुए हाईकोर्ट में केस कर दिया। फिलहाल हाईकोर्ट ने विभाग के इस फैसले को स्थगित किया है, लेकिन आगे कुछ भी हो सकता है।
डिजिटल शिक्षा से प्रभावित
राज्य परियोजना निदेशक योगेंद्र सिंह ने सभी जिलों के डीईओ और डीपीओ एसएसए को पत्र जारी किया है। इस निर्देश में लिखा गया है कि सभी विद्यालयों से 31 जनवरी तक आईसीटी लैब को बंद करा दिया जाए। पत्र में लैब को बंद करने का कारण स्पष्ट नहीं है। विभाग के इस फैसले से जहां एक तरफ बच्चों के कंप्यूटर और डिजिटल शिक्षा प्रभावित हो जाएगी वहीं यह फैसला आईसीटी लैब में सिस्टम व उपकरण उपलब्ध कराने वाले निवेशकों के लिए भी घाटे का सौदा बन चुकी है। एक तरफ जहां सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की बात कहती है, वहीं सरकार के अजीबो गरीब फैसले से लाखों छात्र डिजिटल शिक्षा से प्रभावित हो जाएंगे।
किराया देने की बात तय
25 अगस्त 2023 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पत्रांक 253/सी के माध्यम से सभी जिलों के विद्यालयों में आईसीटी लैब के अधिष्ठापन का पत्र जारी किया था। आईसीटी लैब मुख्यतः सरकारी विद्यालयों के बच्चों को Computer की आधुनिक शिक्षा देने की योजना थी। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव के इस आदेश के बाद जिले के माध्यमिक और हाई स्कूल में लगभग 2000 Computer लगाए गए। इन कंप्यूटरों को लगाने वाले निवेशकों से शिक्षा विभाग ने लिखित में पांच वर्ष का एग्रीमेंट किया। हर निवेशक को प्रति सिस्टम अलग अलग किराया देने की बात तय हुई।
गार्ड और इंस्ट्रक्टर बेरोजगार
जिले के लगभग 90 विद्यालयों में आईसीटी लैब की अधिष्ठापना में कई निवेशकों ने अपनी पूंजी लगाई। उदाहरण के तौर पर शिक्षा विभाग से पंजीकृत आराध्या इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी ने बक्सर और डुमरांव दोनों अनुमंडलों में 610 सिस्टम लगाए। प्रति सिस्टम का मासिक किराया 850 रूपये देने की बात तय हुई। अलग अलग निवेशकों का अलग अलग किराया तय हुआ। निवेशकों ने सूद पर, कर्ज लेकर और अन्य माध्यमों से सिस्टम खरीदकर विद्यालयों में आईसीटी लैब को शुरू कर दिया। आईसीटी लैबों के साथ ही जिले में निवेशकों द्वारा 55 इंस्ट्रक्टर को भी नौकरियां दी गई, जिन्हे 10 से 15 हजार के मासिक भुगतान पर रखा गया। जो छात्रों को कंप्यूटर की शिक्षा देते थे। इन सिस्टमों की रखवाली के लिए पूरे जिले भर में 90 गार्डों की भी तैनाती की गई जो रात को सिस्टमों की रखवाली करते थे।
31 तक हटाने का था फरमान
पांच वर्ष का कॉन्ट्रैक्ट होने के बावजूद एक से डेढ़ वर्ष भी पूरा नहीं हुआ और सरकार ने नया फरमान जारी कर इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया। ताज्जुब की बात यह रही कि डेढ़ वर्षों संचालन के बावजूद निवेशकों के आठ माह का किराया लंबित है। निवेशक आस लगाकर बैठे थे कि सरकार भुगतान करेगी तो लाखों रूपये की लागत से कर्ज लेकर खरीदे सिस्टम का पैसा भरेंगे। इसके साथ ही लैब इंस्ट्रक्टर और गार्ड भी बेरोजगार हो गए। लंबे समय तक कार्य के बावजूद उनका भुगतान नहीं हुआ। इधर शिक्षा विभाग ने 31 जनवरी तक निवेशकों को अपना सिस्टम विद्यालयों से हटा लेने को कहा था।
अभी जारी नहीं हुआ फैसला
शिक्षा विभाग के इस फैसले को तुगलकी फरमान बताते हुए अब निवेशक हाईकोर्ट चले गए। फिलहाल हाईकोर्ट ने आईसीटी लैब संचालकों के पक्ष में फैसला दिया है। उच्च न्यायालय ने तत्काल विभाग के द्वारा जारी निर्देश पर स्थगन का आदेश दिया है। विभाग द्वारा सभी लैब को बंद करने के निर्देश पर इस आदेश का सीधा असर होगा। हालांकि विभाग ने उच्च न्यायालय को लेकर अभीतक कोई निर्देश जारी नहीं किया है। लेकिन संभावना है कि शीघ्र ही आदेश को लेकर विभागीय स्तर पर निर्देश जारी कर दिया जाए।
छात्रों में भी नाराजगी
इधर आईसीटी लैब बंद होने की सूचना पर छात्र छात्राएं भी आक्रोशित हो गए हैं। इस फैसले के लागू होने के बाद बच्चों को लगभग एक साल से मिल रही तकनीकी व आधुनिक शिक्षा पर ग्रहण लग जाएगा आधुनिक शिक्षा से वंचित होने की आशंका को देखते हुए छात्र छात्राएं अपनी नाराजगी जाहिर करने लगे हैं। स्कूलों के प्रतिदिन के होने वाले निरीक्षण के दौरान बच्चे लगातार सवाल पूछ रहे थे। जिससे इन निरीक्षी पदाधिकारियों की भी वि परेशानी बढ़ गई है। शिक्षा विभाग की इस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए जहां एक तरफ विद्यार्थियों में आक्रोश है वहीं निवेशक भी इस रवैये पर खासा नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
कहते हैं डीईओ
विभाग द्वारा पत्र जारी कर अधिष्ठापन एजेंसियों से अपना सिस्टम वापस लेने का निर्देश प्राप्त है। स्थगन का कोई निर्देश अप्राप्त है। विभाग आगे जो निर्देश देगा उसके अनुसार नियमाकुल कारवाई करेंगे।
अमरेंद्र पांडेय, जिला शिक्षा पदाधिकारी, बक्सर
सम्बंधित ख़बरें- 5 हजार से अधिक बिजली बिल बकाया पर कट रहा कनेक्शन
Leave a Reply