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वित्तीय वर्ष 2024-25 में 136 पंचायत में MNREGA के तहत 11 हजार 453 योजनाओ का चयन, 3758 का कार्य पूर्ण

पंचायत में MNREGA के तहत 11 हजार 453 योजनाओ का चयन
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3758 योजनाओ में आवास योजना भी शामिल है,खर्च 11450.67 लाख हुआ है,7695 योजना लंबित है,60.81 लाख राशि मजदूरी भुगतान भी लंबित,जिला में फरवरी माह तक 48 लाख 43 हजार 643 मानव सृजन

NEWS 11 BIHAR (BUXAR) पंचायत के विकास में मनरेगा योजना का एक ख़ास योगदान रहता है। कार्य चाहे सड़क निर्माण का हो या वृक्षारोपण एवं सिचाई प्रणाली से जुड़ा हो। पहले और अब के मनरेगा में काफी हद तक सुधार हुआ है। ग्रामीण मजदूरों को कार्य भी मिल रहा है।

जिले के सभी 11 प्रखंड के 136 पंचायत के वितीय वर्ष 2024-25 में ग्राम सभा आयोजित कर कुल 11 हजार 453 के लगभग योजनाओं का चयन किया गया था। जिसमे आगनबाडी निर्माण,खेल मैदान निर्माण,वृक्षारोपण,सतत जिविकोपार्जन योजना के तहत बकरी एवं पशु शेड,आहर,पईन खुदाई कार्य,पार्क निर्माण इत्यादि को शामिल किया गया था।

पुरे साल में केवल 3758 योजनाओं का ही कार्य किया गया है। इसमें आवास योजना भी शामिल है। जबकि 7695 योजनाओं का कार्य अभी लंबित है। इस योजना का कार्य वित्तीय वर्ष 2025 -26 में जोडकर कराया जा सकता है। पंचायत द्वारा लिया गया सभी योजना प्रमुखता के आधार पर ही चयन किया गया है। पूर्ण योजना पर मनरेगा द्वारा 11450.67 लाख की राशि को खर्च किया गया है।

वही दिसम्बर माह से अबतक करीब 60.81 लाख रुपया मजदूरों का बकाया है। फरवरी माह में अबतक 48 लाख 43 हजार 643 मानव सृजन हुआ है। मनरेगा के कार्य प्रणाली को जब से सॉफ्टवेर से जोड़ा गया है। तब से इस योजना में कराए गए कार्य धरातल पर दिख रहे है। ऐसा नहीं की अब भी गडबडी नहीं हो रहा है। फिर भी काफी सुधार है।

-भुगतान प्रक्रिया जटिल होने से कार्य में हो रहा देर

मनरेगा योजना के तहत पक्का कार्य करने की प्रणाली को काफी सुधार कर दिया गया है।कार्य एजेंसी को जिला द्वारा चयनित वेंडर के माध्यम से ही मटेरियल की खरीददारी करना है। कार्य कराने के कुछ माह बाद राशि आवंटित होता है। उसके बाद वेंडर के खाते में मटेरियल का राशि जाता है।

यह एक लंबी प्रकिया हो जाती है। जिसके कारण मनरेगा योजना में पक्का वर्क का कार्य करने से जनप्रतिनिधि काफी हिचकिचा रहे है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में  मनरेगा के माध्यम से जिले के विभिन्न प्रखंडों में पेवर ब्लॉक, पीसीसी, नाली निर्माण, जीविका भवन एवं आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ खेल मैदान का निर्माण कराया जा रहा है।

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जिसमें बड़े पैमाने पर मेटेरियल का भी उपयोग किया जा रहा है। हालांकि कई आपूर्तिकर्ताओं ने लंबे समय से भुगतान नहीं होने की वजह से मैटेरियल सप्लाई करने में अपने हाथ खड़े कर कर दिए हैं। वही कम पूंजी वाले जनप्रतिनिधि भी इस योजना से अपना मुख मोड़ रहे है। जिसके कारण 75 सौ के करीब योजना इस वित्तीय वर्ष में लंबित पड़ा हुआ है।सामग्री मद में भुगतान नहीं होने की वजह से मनरेगा के कार्यों की प्रगति प्रभावित हो रही है।

-जटिल प्रक्रिया से भुगतान में विलंब हो रहा

जानकारों का कहना है कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास विभाग की जटिल प्रक्रिया से भुगतान में विलंब हो रहा है। जाहिर तौर पर ऐसे में स्थानीय अधिकारी चाहकर भी कई चीजें अपने स्तर से नहीं कर पाते लेकिन परेशानी उन्हें ही झेलनी पड़ रही है। विभागीय जानकारों का मानना है कि सरकार को मनरेगा में मजदूरी से लेकर मेटेरियल तक के भुगतान की प्रक्रिया और सरल किए जाने की जरूरत है। जिसके बाद ही इस योजना में गति मिल सकता है।

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