स्व. पंडित सूर्य नारायण शर्मा की स्मृति में हजारों की भीड़, घोड़ों की रफ्तार और परंपरा का संगम, विजेताओं को किया गया सम्मानित
न्यूज़11 बिहार | सिमरी (बक्सर)
सिमरी प्रखंड अंतर्गत कालरात्रि मंदिर परिसर सोमवार को एक बार फिर रोमांच और परंपरा का अद्भुत संगम बना, जब पूर्व विधायक स्व. पंडित सूर्य नारायण शर्मा की पुण्य स्मृति में अंतरराज्यीय चेतक घोड़ा दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। आयोजन में दो दर्जन से अधिक घोड़ों ने भाग लिया।
जिसे देखने के लिए आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में ग्रामीण और घोड़ा प्रेमी उपस्थित हुए। प्रतियोगिता का आयोजन समाजसेवी डमडम राय के नेतृत्व में कराया गया, वहीं मंच संचालन की जिम्मेदारी भोलू राय ने बखूबी निभाई।
प्रतियोगिता के दो वर्ग – नादक और दो दांत
घोड़ा दौड़ प्रतियोगिता को दो श्रेणियों में बांटा गया – नादक (युवा घोड़े) और दो दांत (प्रौढ़ घोड़े) वर्ग। दोनों वर्गों में शानदार प्रदर्शन देखने को मिला, जहां घोड़ों की फुर्ती, ताकत और संतुलन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नादक वर्ग के विजेता:
निखिल राय (मऊ)
अंकित राय (नरही)
राजेंद्र सिंह (रामगढ़)
ड्रॉ – सोनू वर्मा (आम्रपाली)
दो दांत वर्ग के विजेता:
साधु (घोड़ा), स्वामी – छोटू मिश्र (मुखिया, केशोपुर)
निखिल कुमार (मऊ)
रामजीत सिंह (बलिया)
हृदयनंद मिश्रा (कुदरिया)
इन सभी प्रतिभागियों को अंगवस्त्र और आकर्षक शील्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक दद्दन पहलवान यादव, एमएलसी राधाचरण शाह, पूर्व विधायक दिलमनी देवी, पूर्व प्रमुख सतनारायण दुबे, हुलाश पांडेय, मुखिया प्रेम सागर कुमार, पूर्व मुखिया सरोज तिवारी, बबन राम एवं मनोज उपाध्याय जैसे अनेक गणमान्य अतिथि शामिल हुए।
सभी अतिथियों ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रतियोगिता न केवल स्थानीय संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का माध्यम है, बल्कि ग्रामीण खेलों और पशुपालन को भी बढ़ावा देने में सहायक है।
जनता में उत्साह, घोड़ों की रफ्तार ने लूटी वाहवाही
घोड़ा दौड़ को देखने के लिए आए दर्शकों में उत्साह चरम पर था। कालरात्रि मंदिर परिसर का मैदान हजारों दर्शकों की मौजूदगी से गुलजार था। लोग दूर-दराज के गांवों से अपने परिवार सहित पहुंचे थे। कई घोड़ा पालकों के लिए यह प्रतियोगिता सम्मान और प्रतिष्ठा का विषय रही, वहीं युवाओं में भी विशेष उत्साह देखने को मिला।
आयोजन बना सामाजिक समरसता का उदाहरण
इस प्रतियोगिता ने क्षेत्र में सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने के साथ-साथ सामाजिक समरसता और मेलजोल को भी बढ़ावा दिया। आयोजक डमडम राय ने बताया कि यह आयोजन हर वर्ष आयोजित किया जाएगा, ताकि ग्रामीण प्रतिभाओं को मंच मिल सके और पारंपरिक खेल जीवित रहें।
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