बिहार में भाजपा-जदयू की सरकार ने भूमि मामलों में दोहरी कानून व्यवस्था बनायीं है – विधायक
न्यूज़ 11 बिहार (बक्सर) विधानसभा के बजट सत्र 2025 के प्रश्नोत्तर काल मे बिहार भूमि-हदबंदी अधिनियम के तहत बिहार सरकार द्वारा डुमराँव में अर्जित की गयी भूमि पर अभी भी जमीन्दारों के कब्जे के प्रश्न उठाया गया। हालांकि इस प्रश्न को विधायक ने पिछले सत्र में भी उठाया था।
1997 में ही सरकार ने गजट निर्गत कर बिहार भू-हदबंदी अधिनियम के तहत बक्सर जिले के मौजा भोजपुर कदीम, थाना संख्या- 154 के खाता संख्या- 365 रकबा 65.95 एकड़ की भूमि डुमराँव महराज के परिवार से अर्जित की गयी है । परन्तु आज तक उनकी जमाबंदी रद्द नहीं की गयी है ।
जमाबंदी रद्द नहीं होने की स्थिति में डुमराँव महराज के परिवार के सदस्यों द्वारा कुछ हिस्सा बेच भी दिया गया है तथा शेष अर्जित भूमि के बड़े भू-भाग पर अभी भी रैयत का ही दखल-कब्ज़ा है। विधायक अजित सिंह ने कहा की इसको लेकर मेरे द्वारा बार-बार सवाल उठाने के बावजूद भी सरकार खुद की अर्जित भूमि को कब्जे में लेकर उपयोग करने में सक्षम नहीं है।
इससे स्पष्ट है की सरकार आज भी जमीन्दारों के पक्ष में खड़ी है । वही सिविल कोर्ट निर्माण के लिए इस भोजपुर कदीम मौजा में किसानो की उर्वरक भूमि का अधिग्रहण करने पर उतारू है । बिहार में बड़े लोगों के अलग तथा गरीबों के लिए अलग कानून व्यवस्था बानी हुई है।
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बिहार में नितीश सरकार के मंत्री अधिकारी झूठा जवाब देते हैं । हमारी पार्टी भाकपा माले द्वारा आहूत ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ के दौरान हमें नावानगर प्रखण्ड के गुंजाडीहरी के मुसहर जाति के भूमिहीनों तथा डुमराँव प्रखण्ड के लाखनडिहरा गाँव के दलित भूमिहीन पर्चाधारियों ने शिकायत की कि बीसियों वर्षों से परचा तो मिला है परन्तु परचा के भूमि पर दूसरों का कब्ज़ा है । बार-बार आवेदन देने के बाद भी दखल-कब्ज़ा नहीं दिलाया जा रहा है । विधानसभा में प्रश्न किया गया तो कोरा झूठा जवाब मिला कि भूमि पर पर्चाधारियों का ही कब्ज़ा है ।
इस प्रश्नो के प्राप्त उत्तर से नितीश सरकार का दलित-गरीब विरोधी चेहरा आईने की तरह साफ दीखता है । दोहरी निति और कानून बनायीं गयी है दलितों-गरीबों के लिए कुछ और तथा जमीन्दारों के लिए कुछ और कानून । हम और हमारी पार्टी भाकपा माले गरीबों-दलितों के पक्ष में उनकी आवाज बनकर उनके हक़ मिलने तक सड़क से सदन तक लड़ती रहेगी ।
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