अहियापुर की शादी में मातम: गीतों की जगह गूंजा क्रंदन
न्यूज़ 11 बिहार | बक्सर
अहियापुर गांव में शनिवार की सुबह घटी दिल दहला देने वाली वारदात ने न सिर्फ तीन जिंदगियों को छीन लिया, बल्कि एक घर की खुशियों को मातम में बदल दिया। जहां कुछ घंटे पहले तक शादी की तैयारियों की हलचल थी, वहां अब केवल सिसकियां और रुदन की आवाजें सुनाई दे रही हैं। जिस घर में एक जून को तिलक और छह जून को शादी की तारीख तय थी, उस घर में अब हर तरफ उदासी और खामोशी छाई हुई है। मृतक सुनील यादव के छोटे भाई सुदामा यादव की शादी को लेकर घर में हर्षोल्लास का माहौल था। रिश्तेदार आ चुके थे, महिलाएं रात में मांगलिक गीत गा रही थीं और हर कोने में चहल-पहल थी। मिठाइयों की खुशबू, सजावटी सामान और बारात की तैयारियों में डूबे घर में किसी को क्या पता था कि अगली सुबह मौत अपने नंगे पांव दस्तक देने वाली है। शनिवार की सुबह जैसे ही सुनील यादव की हत्या की खबर गांव में फैली, पूरा माहौल पल भर में बदल गया। मांगलिक गीतों की जगह अब औरतों की चीखें गूंज रही थीं। जिन हाथों से दुल्हे की सेहर बननी थी, वे अब ताबूत को पकड़कर कांप रही थीं। मां की ममता करुण चीत्कार बन चुकी थी, बहनों की आंखों में सजते सपने आंसुओं में बह चले।
ग्रामीणों का कहना है कि शुक्रवार को भी हमलावरों ने पीड़ित पक्ष को धमकी दी थी, लेकिन परिवार ने हर अपमान को नजरअंदाज किया, बस यही सोचकर कि शादी शांतिपूर्वक पूरी हो जाए। कोई विवाद न हो, इसी सोच में उन्होंने चुप्पी साधी। पर किसे पता था कि यह चुप्पी अगले दिन चीखों में बदल जाएगी।
इस दर्दनाक घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। जहां बारात की तैयारी होनी थी, वहां अब तेरहवीं की चर्चा हो रही है। लोग उस घर की ओर देखने से भी कतराते हैं, जिसमें एक साथ खुशी और ग़म का ऐसा भयावह टकराव हुआ।
अहियापुर अब केवल एक हत्या कांड का नाम नहीं, बल्कि एक ऐसी कहानी बन चुका है जो बताती है कि नफरत और रंजिश किस तरह इंसानियत को रौंद देती है। शादी के सपनों पर पड़ी यह मौत की परछाई हर उस दिल को चीर देती है जो रिश्तों और खुशियों में भरोसा रखता है।
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