पुरानी तस्वीरों से उपस्थिति दर्ज करने और निर्धारित समय के उल्लंघन के आरोप,दोषी पाए जाने पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी
न्यूज़ 11 बिहार | बक्सर
जिले के विभिन्न प्रखंडों के पंचायत स्तरीय विद्यालयों में पदस्थापित 124 शिक्षकों पर ई-शिक्षा कोष ऐप के माध्यम से फर्जी उपस्थिति दर्ज करने का गंभीर मामला सामने आया है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने इसे शिक्षा व्यवस्था के प्रति गंभीर लापरवाही मानते हुए संबंधित प्रभारी प्रधानाध्यापकों से तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया है।
ई-शिक्षा कोष ऐप के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति और विद्यालय छोड़ने का समय मोबाइल से फोटो लेकर दर्ज किया जाता है। लेकिन जांच में यह पाया गया कि कई शिक्षकों ने पूर्व में खींचे गए फोटो का बार-बार उपयोग कर अपनी झूठी उपस्थिति दर्ज की। इसके अलावा कई मामलों में शिक्षकों ने निर्धारित समय से इतर उपस्थिति दर्ज की, जबकि विद्यालय छोड़ने के समय अनुपस्थिति दर्ज ही नहीं की गई।
डीपीओ के अनुसार यह स्पष्ट संकेत है कि कुछ शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय में उपस्थित नहीं रहते, फिर भी तकनीकी उपायों का दुरुपयोग कर उपस्थिति दर्ज करते हैं। इससे पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और छात्र-छात्राओं का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह न केवल शिक्षकीय कर्तव्यों से विमुखता है, बल्कि यह कार्य नैतिकता और सेवा शर्तों का भी उल्लंघन है। डीपीओ ने सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों को निर्देशित किया है कि वे अपने विद्यालय में हो रही उपस्थिति से संबंधित अनियमितताओं का स्पष्ट विवरण विभाग को भेजें। साथ ही, जिन शिक्षकों पर आरोप लगे हैं, उनसे भी लिखित स्पष्टीकरण प्राप्त कर तीन दिनों के भीतर जिला कार्यालय को मंतव्य सहित प्रेषित करें।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच में दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों के विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस पत्र के जारी होते ही शिक्षा महकमे में हड़कंप मच गया है और संबंधित विद्यालयों में चिंता की लहर दौड़ गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय निगरानी की जा रही है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके। यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि डिजिटल प्रणाली की निगरानी और जवाबदेही के अभाव में शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे लोग किस प्रकार से लापरवाही बरत रहे हैं। प्रशासन की कड़ी नजर और समयबद्ध कार्रवाई ही ऐसी गतिविधियों पर रोक लगा सकती है।
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