हत्या से दहले परिजनों के आंसुओं के बीच प्रशासनिक संवेदनहीनता उजागर, आरोपी वर्षों से सरकारी जमीन पर कब्जे में, कार्रवाई नदारद
भास्कर न्यूज़ | बक्सर
बक्सर के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत अहियापुर गांव में शनिवार को हुए ट्रिपल मर्डर कांड ने न सिर्फ पूरे जिले को हिला दिया, बल्कि पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। सुनील सिंह, विनोद सिंह और वीरेंद्र सिंह की निर्मम हत्या ने जहां एक ओर तीन परिवारों को उजाड़ दिया, वहीं प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।
शनिवार की इस खौफनाक वारदात के बाद जहां इलाके में मातम पसरा हुआ है, वहीं रविवार को एक पत्र ने पूरी स्थिति को नया मोड़ दे दिया। यह पत्र राजपुर अंचल कार्यालय से जारी हुआ है, जिसमें अहियापुर नहर किनारे सरकारी जमीन पर निर्माण सामग्री बेचने की दुकान को लेकर कर्मचारी से जवाब तलब किया गया है। यह वही दुकान थी, जहां मृतक सुनील सिंह बालू-गिट्टी बेचते थे।

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कोई नई बात नहीं, लेकिन कार्रवाई एकतरफा क्यों
सवाल यह भी है कि नहर किनारे अतिक्रमण के नाम पर जारी यह पत्र आखिर क्यों सिर्फ एक पीड़ित परिवार के नाम पर केंद्रित है, जबकि जिले भर में पथ निर्माण विभाग की भूमि से लेकर सिंचाई विभाग तक की जमीनों पर वर्षों से अतिक्रमण जारी है। सड़क किनारे अस्थायी दुकानों से लेकर स्थायी निर्माण तक आम हैं, लेकिन शायद ही किसी सीओ ने इस प्रकार का पत्र जारी किया हो।
पूर्व में भी शिकायत, प्रशासनिक चुप्पी क्यों
मीडिया में आई जानकारी के अनुसार, इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी मनोज सिंह और संतोष सिंह के खिलाफ वर्ष 2021 से ही शिकायतें जिलाधिकारी कार्यालय में पड़ी हुई थीं। आरोप था कि इन्होंने सामुदायिक भवन, किसान भवन और सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा कर रखा है। बावजूद इसके, तीन वर्षों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यह लापरवाही प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े करती है। शनिवार को मौके पर पहुंचे डीआईजी सत्यप्रकाश और जिलाधिकारी से जब पत्रकारों ने सवाल पूछे, तो उन्होंने सख्त कार्रवाई और किसी को नहीं बख्शने की बात कही। लेकिन इससे इतर, उसी दिन पीड़ित परिवार के खिलाफ जारी हुआ अंचल कार्यालय का पत्र प्रशासन की कथनी और करनी के बीच की खाई को उजागर करता है।
बेटियों की चीख और पत्र की संवेदनहीनता
इस पूरी घटना का सबसे मार्मिक दृश्य तब देखने को मिला जब मृतक सुनील सिंह की बेटियों ने डीआईजी के सामने हाथ जोड़कर रोते हुए न्याय की गुहार लगाई। उनकी चीखों और आंसुओं के बीच प्रशासन की ओर से निकला यह पत्र संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
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