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बक्सर: केशोपुर में सीएम की सुरक्षा में चूक, 11 मजिस्ट्रेट तलब, जांच को तीन सदस्यीय टीम गठित

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन करते CM
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डीएम ने लिया संज्ञान, डीडीसी की अध्यक्षता में जांच शुरू, प्रशासनिक हलकों में मचा हड़कंप

न्यूज़ 11 बिहार(बक्सर)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के तहत बक्सर जिले के केशोपुर गांव में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में हुई चूक पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। इस मामले को लेकर 11 मजिस्ट्रेट रैंक के पदाधिकारियों को तलब किया गया है, जो उस समय कार्यक्रम स्थल पर ड्यूटी पर तैनात थे। इस संबंध में जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के आदेश पर तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता उप विकास आयुक्त (डीडीसी) डॉ महेंद्र पाल कर रहे हैं।

जांच टीम में शामिल वरिष्ठ अधिकारी:

जांच समिति में डीडीसी के साथ डुमरांव एसडीएम राकेश कुमार और एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी को सदस्य बनाया गया है। यह टीम सुरक्षा व्यवस्था में हुई चूक की हर पहलू से गहन जांच करेगी और रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी।

क्या है मामला: जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब केशोपुर गांव पहुंचे, तो कार्यक्रम स्थल पर अचानक भारी भीड़ उमड़ पड़ी। स्थानीय लोग और विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में एकत्र हो गए। सुरक्षा घेरा कमजोर पड़ता नजर आया, हालांकि स्थिति को तुरंत नियंत्रित कर लिया गया और मुख्यमंत्री की सुरक्षा में कोई व्यवधान नहीं आने दिया गया।

कार्यक्रम के दौरान डीएम अंशुल अग्रवाल, एसपी शुभम आर्य, एसडीएम राकेश कुमार और एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी स्वयं मौके पर मौजूद थे और उन्होंने स्थिति को संभालने में सक्रिय भूमिका निभाई। बावजूद इसके, मुख्यालय स्तर से इस चूक को गंभीरता से लिया गया और संबंधित मजिस्ट्रेटों को शोकॉज नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया गया है।

डीडीसी ने क्या कहा:

जब इस मामले में जांच टीम के अध्यक्ष डीडीसी डॉ महेंद्र पाल से बात की गई, तो उन्होंने कहा:

“टीम गठित कर दी गई है और जांच कार्य प्रारंभ हो चुका है। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। सभी तथ्यों की बारीकी से जांच की जा रही है और रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी। उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।”

प्रशासनिक गलियारों में हलचल:

शोकॉज नोटिस जारी होने के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप की स्थिति बन गई है। अधिकारियों के बीच यह चर्चा तेज है कि जब ड्यूटी पूर्व स्पष्ट ब्रीफिंग दी गई थी, और ड्यूटी चार्ट पहले से तय थे, तब भी ऐसी चूक कैसे हो गई? यह घटना प्रशासनिक सतर्कता और समन्वय पर सवाल खड़े करती नजर आ रही है।

गोपनीयता बरकरार, लेकिन निगरानी सख्त:

जांच टीम से जुड़े अधिकारी अभी यह बताने से बच रहे हैं कि किन-किन मजिस्ट्रेटों को तलब किया गया है। वहीं, मुख्यालय स्तर से भी इस मामले पर कड़ी नजर रखी जा रही है। जल्द ही इस पूरे घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।

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