NEWS11 BIHAR (BUXAR): मनरेगा योजना के तहत जिले में काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों को पिछले चार महीने से मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उनकी स्थिति अत्यंत कठिन हो गई है। होली जैसा महापर्व भी मजदूरी भुगतान नहीं होने के कारण फीका चला गया।
मजदूरों का कहना है कि वे अपने परिवार की देखभाल के लिए इस योजना के तहत काम करते हैं, लेकिन भुगतान न मिलने से उन्हें गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है और उन्होंने सरकार से तत्काल भुगतान की मांग की है।
मजदूरी न मिलने से परेशान मनरेगा मजदूर
मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करना और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है। इसके तहत मजदूरों को कार्य के आधार पर भुगतान किया जाता है, लेकिन पिछले चार महीनों से मजदूरों को उनका मेहनताना नहीं मिला है। कई मजदूरों ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया है और जिला प्रशासन से शीघ्र समाधान की मांग की है।
डुमराँव प्रखंड के अटाव पंचायत के मजदूर सुदामा प्रसाद,धनवतिया देवी, मोहन कुमार कहा कहना है कि हमलोगों ने पिछले दिसंबर से काम कर रहे है लेकिन अब तक एक भी पैसा नहीं मिला है। हमारे घरों में खाने के लिए कुछ नहीं बचा है। बच्चों की फीस, घर के अन्य खर्चे सभी बाधित हो गए हैं। हम किससे सहायता मांगें। जैसे तैसे काम चल रहा है।
-कार्य की गुणवत्ता और समय पर भुगतान की आवश्यकता
मनरेगा के तहत कार्य की गुणवत्ता और समय पर मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर मजदूरों को समय पर भुगतान नहीं मिलता है, तो न केवल उनकी व्यक्तिगत स्थिति प्रभावित होती है, बल्कि योजना का उद्देश्य भी विफल हो जाता है।
मनरेगा के तहत कई स्थानों पर सड़क निर्माण, जल संचयन, नाली निर्माण, और अन्य विकास कार्य किए गए थे, लेकिन मजदूरी का भुगतान न होने से मजदूरों का मनोबल गिर रहा है। मजदूरों का कहना है कि यदि समय पर भुगतान होता, तो वे अधिक उत्साह के साथ कार्य करते और कार्य की गुणवत्ता में भी सुधार होता।
-विभागीय लापरवाही या प्रशासनिक गलती?
विभागीय अधिकारियों से जब इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कहा कि हमलोगों के द्वारा भुगतान के लिए सभी प्रक्रिया को कर दिया गया है। अब आगे का कार्य विभाग को करना है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि विभाग के पास मजदूरी का भुगतान करने के लिए फंड की कमी हो सकती है, लेकिन इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जल्दी ही मजदूरी के भुगतान के लिए कदम उठाए जाएंगे, लेकिन मजदूरों का कहना है कि यह स्थिति अब असहनीय हो चुकी है। अगर सरकार हमारे मेहनत का भुगतान नहीं करेगी, तो हमें अपनी समस्याओं का समाधान कहां से मिलेगा।
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