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कांडों का अनुसंधान करने वाले पुलिस अधिकारी को मिलेगा Laptop

The department has allocated Rs 60,000 for each laptop
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-विभाग ने प्रत्येक लैपटॉप के लिए 60 हजार रुपया किया है आवंटित
-केस डायरी से लेकर गवाहों के बयान तक डिजिटल होगा
-सीसीटीएनएस सीसीटीवी कैमरा के बाद अब डिजिटल अनुसंधान से पुलिस एवं वादी दोनों को सुविधा

BUXAR | पुलिस दिन प्रतिदिन स्मार्ट होते जा रही है। पहले जिला के सभी थाना को सीसीटीवी कैमरा से जोड़ा गया। सीसीटीएनएस सिस्टम के जरिए दर्ज प्राथमिकी को भी डिजिटलाइज किया गया है। जिससे वादी को एफआईआर का नकल निकालने के लिए थाना का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है। अब पुलिस का अनुसंधान भी स्मार्ट हो जाएगा। जिले में तैनात इंस्पेक्टर, दारोगा व जमादार जिनके द्वारा कांडों का अनुसंधान किया जाता है। उन्हें अब विभाग के द्वारा लैपटॉप दिया जाएगा। इसके लिए पुलिस मुख्यालय उन्हें राशि भी प्रदान करेगा। हालांकि विभाग के द्वारा तय कैटेगरी के अनुसार ही लैपटॉप और मोबाइल की खरीद करनी होगी। पुलिस मुख्यालय के द्वारा जिले के सभी थानों में तैनात अनुसंधान विंग के पुलिस पदाधिकारियों को मोबाइल व लैपटॉप की खरीदारी करने की अनुमति अनुमति के साथ निर्देश दे दिया गया है। वही 55 वर्ष से कम आयु वाले इंस्पेक्टर,दारोगा व जमादार को ही लैपटॉप व मोबाइल अनुसंधान के लिए मिलेगा। वहीं इसके रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी अनुसंधानकर्ताओं के ऊपर ही होगी। अनुसंधानकर्ताओं के तबादले के बाद भी मोबाइल और लैपटॉप उन्हीं के पास रहेगा। बता दें कि थाना स्तर पर अनुसंधान इकाई का गठन किया गया है। थाने में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। कुछ पदाधिकारियों को विधि-व्यवस्था व बाकी को दर्ज कांडों के अनुसंधान की जिम्मेदारी दी गई है। नए कानूनों के तहत पुलिस को मोबाइल से घटनास्थल पर डिजिटल साक्ष्य इकट्ठा करना व गवाहों का वीडियो फॉर्मेंट में बयान दर्ज करना होता है। साथ ही इसके लिए उन्हें अलग से प्रशिक्षण भी दिया जाना है। नए नियम के तहत पुलिस पदाधिकारी लैपटॉप के माध्यम से अपना केस डायरी, गवाहों का बयान आदि लिखना है। विभाग के द्वारा लैपटॉप के लिए 60 एवं मोबाइल के लिए 20 हजार रुपया देना है।


कहते है एसडीपीओ

नए आपराधिक कानून में घटनास्थल का वीडियो बनाने के साथ पीड़ित या गवाहों का बयान ऑडियो-वीडियो में दर्ज करना अनिवार्य है। उन्हें ई-साक्ष्य एप पर केस से जुड़े साक्ष्य को अपलोड करना है। इसके लिए अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों के पास स्मार्टफोन और लैपटॉप होना अति आवश्यक है। 

-अफाक अख्तर अंसारी,एसडीपीओ डुमरांव।

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