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चौसा गढ़ की दुर्लभ मृण्मूर्तियां अब बक्सर संग्रहालय की शान बनेंगी

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चौसा मृण्मूर्ति दीर्घा’ में मिलेगा ऐतिहासिक धरोहरों का दर्शन,गुप्तकाल के टेराकोटा मंदिर के अवशेष भी उत्खनन में प्राप्त,भारत की सबसे प्राचीन शिव-पार्वती मूर्ति बनी मुख्य आकर्षण

न्यूज़ 11 बिहार | बक्सर

चौसा गढ़ के पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त दुर्लभ टेराकोटा मृण्मूर्तियों को अब सीताराम उपाध्याय संग्रहालय, बक्सर में दर्शकों के लिए प्रदर्शित किया जाएगा। इन ऐतिहासिक मूर्तियों का प्रलेखन कार्य पूरा कर लिया गया है और संग्रहालय में ‘चौसा मृण्मूर्ति दीर्घा’ नामक एक नई गैलरी विकसित की जा रही है, जो शीघ्र ही जनता के लिए खुली जाएगी।

बिहार सरकार के पुरातत्व निदेशालय द्वारा वर्ष 2011 से 2014 तक चौसा गढ़ में व्यापक उत्खनन किया गया था। इस अभियान में डॉ. उमेश चंद्र द्विवेदी और डॉ. जलज कुमार तिवारी जैसे पुरातत्व विशेषज्ञों ने करीब 50 मृण्मूर्तियों का विस्तृत अध्ययन किया। ये मूर्तियां गुप्तकाल की समृद्ध कला और धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक मानी जा रही हैं। उत्खनन में प्राप्त अधिकतर मूर्तियां रामायण की घटनाओं पर आधारित हैं। इनमें सीता हरण, राम-लक्ष्मण का युद्ध, हनुमान, सुग्रीव, शिव-पार्वती विवाह, अशोक वाटिका में वानरों का दृश्य और युद्धरत कार्तिकेय जैसे विषयों की कलात्मक प्रस्तुति शामिल है। विशेष रूप से शिव-पार्वती विवाह की “कल्याण सुंदर” मूर्ति को अब तक भारत में मिली इस प्रकार की सबसे प्राचीन मूर्ति माना जा रहा है। कुछ मूर्तियों पर चौथी शताब्दी ईस्वी की ब्राह्मी लिपि में अभिलेख भी पाए गए हैं, जो इनकी ऐतिहासिक प्रमाणिकता को और सुदृढ़ करते हैं। इसके अतिरिक्त, उत्खनन में गुप्तकाल के टेराकोटा मंदिर के अवशेष भी मिले हैं, जिन्हें देश में अपनी तरह का सबसे प्राचीन उदाहरण माना जा रहा है। इन मूर्तियों का यह संग्रह भारतीय कला और संस्कृति की धरोहर को नई पहचान देगा और बक्सर को एक प्रमुख पुरातात्विक पर्यटन स्थल के रूप में उभारेगा।

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